नींद के दरिया में ख़्वाबों की आती-जाती तुग्यानी -
मगर हक़ीक़त के सहरा में दूर तलक है वीरानी -
मुश्किल को आसाँ करने वाले तो मिलने आसाँ हैं
आओ उसको ढूँढ़ें जो मुश्किल में ढूँढ़े आसानी -
चाहें ग़म बेचो या आँसू, या फिर बेचो ख्वाब, ज़मीर
हर शय की उतनी है कीमत, जितनी उसमें हैरानी -
उठती गिरती लहरों को तब से बोसे की लगी तलब
एक दफ़ा जो चाँद ने चूमी थी दरिया की पेशानी -
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