शनिवार, 20 फ़रवरी 2016

तुम ज़रूर हारोगे !

गालियाँ देना ज़रूरी है, बहुत ज़रूरी 
और हमेशा लड़ते रहना भी..
पहले धर्म के नाम पर 
फिर जाति के नाम पर 
प्रदेश के नाम पर
जिले के नाम पर 
गाँव, शहर और मोहल्ले के नाम पर.. 
फिर घर में भाई से
माँ से, बाप से, बीवी से
दोस्तों से, दुश्मनों से

ये सभी लड़ाईयाँ लड़ने और जीतने वालों !
मैं विश्वास से कह सकता हूँ तुमसे -
एक दिन आईने में जब ख़ुद को देखोगे,
तुम ज़रूर हारोगे !
तुम ज़रूर हारोगे !

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