दिलों को जोड़कर रखता रहा हूँ -
मैं कितनों के लिए पुल सा रहा हूँ -
मैं लम्हा हूँ, मगर सदियों पुरानी
किसी तारीख़ का हिस्सा रहा हूँ -
हज़ारों मस'अले हैं ज़िन्दगी में
मैं इक-इक कर उन्हें सुलझा रहा हूँ -
ग़मे-दौरां में खुशियाँ ढूँढ़ना सीख
तुझे कबसे ऐ दिल! समझा रहा हूँ -
नहीं मुमकिन है मेरी वापसी अब
फ़क़त शतरंज का प्यादा रहा हूँ -
तुम्हारे नाम का इक फूल हर साल
किताबे-दिल में, मैं रखता रहा हूँ -
किनारे इक नदी के बैठकर मैं
'तेरी यादों से दिल बहला रहा हूँ' -
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