तिनका तिनका टूटा है-
दर्द किसी छप्पर सा है-
आँसू है इक बादल जो
सारी रात बरसता है-
सारी खुशियाँ रूठ गईं
ग़म फिर से मुस्काया है-
उम्मीदों का इक जुगनू
शब भर जलता बुझता है-
मंजिल बैठी दूर कहीं
मीलों लम्बा रस्ता है-
ख़्वाहिश जैसे रोटी है
दिल, मुफ़लिस का बेटा है-
किसकी खातिर रोता तू
कौन यहाँ पर किसका है-
किसकी खातिर रोता तू
जवाब देंहटाएंकौन यहाँ पर किसका है-
बहुत अच्छे ज़नाब !
शानदार और लाजबाब ..
जवाब देंहटाएंकौन यहाँ पर किसका है ...
जवाब देंहटाएंतल्ख़ सच्चाई है !
वाह! क्या बात है...
जवाब देंहटाएंसुन्दर गज़ल बन पडी है....
सारे शेर उम्दा हैं...
सादर बधाई...
aap aaye nahin
जवाब देंहटाएंचर्चा-मंच 656
http://charchamanch.blogspot.com/
ग़ज़ल पसंद करने के लिए आप सब का तहे दिल से शुक्रिया. :)
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