आज मैंने देखा...
मंडराते हुए
इधर उधर घूमते हुए
कौवों के झुंड को..
और खाते हुए नरमुंड को...
आज मैंने पा लिया,
मानवों और कौवों में
अंतर पता लगा लिया...
वे देते हैं श्रद्धांजलि मंडराकर,
तब खाते हैं..
पर ये जो मानव हैं..
मंडराकर, खाकर,
तब श्रद्धांजलि दे पाते हैं...
मंडराते हुए
इधर उधर घूमते हुए
कौवों के झुंड को..
और खाते हुए नरमुंड को...
आज मैंने पा लिया,
मानवों और कौवों में
अंतर पता लगा लिया...
वे देते हैं श्रद्धांजलि मंडराकर,
तब खाते हैं..
पर ये जो मानव हैं..
मंडराकर, खाकर,
तब श्रद्धांजलि दे पाते हैं...
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