मैं बन्द आँखों से दुनिया भर के मन्ज़र देख लेता हूँ -
सुखन वाला हूँ, हर इक शय को बेहतर देख लेता हूँ -
गुजरता हूँ उधर से जब, पलटकर देख लेता हूँ -
कोई रहता नहीं वाँ फिर भी अक्सर देख लेता हूँ -
किसी की ख़ुश्क़ पथरायी सी आँखें याद आती हैं
कभी टुकड़ा ज़मीं का मैं जो बंज़र देख लेता हूँ -
वो 'मैं' जो बरसों पहले खो गया, उसकी तलाशी में
यूँ ही गाहे - बगाहे अपने अन्दर देख लेता हूँ -
किये बैठा हूँ अपने हौसले को कबसे मैं तलवार
उसे लाने दो अपने लाव - लश्कर, देख लेता हूँ -
मेरा दुश्मन भी मुझपे वार करके ख़ुद तड़पता है
मैं हर इक वार पे उसके, जो हँसकर देख लेता हूँ -