रविवार, 2 अक्तूबर 2011

ग़ज़ल - तिनका तिनका टूटा है



तिनका तिनका टूटा है-
दर्द किसी छप्पर सा है-

आँसू है इक बादल जो
सारी रात बरसता है-

सारी खुशियाँ रूठ गईं
ग़म फिर से मुस्काया है-

उम्मीदों का इक जुगनू
शब भर जलता बुझता है-

मंजिल बैठी दूर कहीं
मीलों लम्बा रस्ता है-

ख़्वाहिश जैसे रोटी है
दिल, मुफ़लिस का बेटा है-

किसकी खातिर रोता तू
कौन यहाँ पर किसका है-