तिनका तिनका टूटा है-
दर्द किसी छप्पर सा है-
आँसू है इक बादल जो
सारी रात बरसता है-
सारी खुशियाँ रूठ गईं
ग़म फिर से मुस्काया है-
उम्मीदों का इक जुगनू
शब भर जलता बुझता है-
मंजिल बैठी दूर कहीं
मीलों लम्बा रस्ता है-
ख़्वाहिश जैसे रोटी है
दिल, मुफ़लिस का बेटा है-
किसकी खातिर रोता तू
कौन यहाँ पर किसका है-